Friday, January 28, 2022

BALIKA DIWAS PER VIDIO ON 24.01.2022


 

BALIKA DIWAS PER VIDIO ON 24.01.2022


 

BOOKS REVEW

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SUBHASH CHANDRA BOSE BIRTH ANIVERSARY CELEBRATION VIDIO


 

SUBHASH CHANDRA BOSE BIRTH ANIVERSARY CELEBRATION VIDIO


 

TENALIRAM KI KAHANI

 EBRUARY 5, 2021 द्वारा लिखित 

तेनालीराम की कहानी हीरों का सच

राजा कृष्णदेवराय के दरबार में तेनालीराम नाम के मंत्री थे, जो बड़े ही कुशल और समझदार थे। एक बार महाराज के सामने ऐसा मामला आया कि उनके लिए न्याय करना मुश्किल हो गया। ऐसे में तेनाली राम ने सूझबूझ से काम लिया और राजा की उलझन सुलझाई।

हुआ यूं कि एक दिन नामदेव नाम का एक व्यक्ति राजमहल में आया और न्याय की गुहार लगाने लगा। राजा ने उससे पूछा कि तुम्हारे साथ किसने अन्याय किया है, तो नामदेव ने पूरी बात बताई। नामदेव ने बताया कि वो कल अपने मालिक के साथ कहीं जा रहा था, तो उसे रास्ते में एक पोटली मिली जिसमें दो चमकते हीरे थे। मैंने हीरे देखकर कहा कि मालिक इन हीरों पर राज्य का अधिकार है, इसलिए इन्हें राजकोष में जमा करा देते हैं। यह बात सुनकर मालिक भड़क पड़ा और बोला कि हीरे मिलने की बात किसी को बताने की जरूरत नहीं है। इसमें से एक मैं रख लूंगा और एक तू रख लेना। यह बात सुनकर मेरे दिल में लालच आ गया और मैं अपने मालिक के साथ उनकी हवेली लौट आया। हवेली आकर मालिक ने मुझे हीरे देने से इनकार कर दिया। महाराज मुझे न्याय दीजिए।

नामदेव का दुखड़ा सुनकर, महाराजा ने तुरंत मालिक को दरबार में पेश होने का आदेश दिया। नामदेव का मालिक बहुत कपटी था। दरबार में आकर बोला कि महाराज यह बात सच है कि हमें हीरे मिले थे, लेकिन वो मैंने नामदेव को दे दिए थे। मैंने नामदेव को आदेश दिया था कि इन हीरों को राजकोष में जमा करा देना। नामदेव के मन में लालच है, इसलिए वह झूठी कहानियां बना रहा है।

महाराज बोले कि इसका क्या सबूत है कि तुम सच बोल रहे हो। नामदेव का मालिक बोला कि हुजूर आप बाकी के नौकरों से पूछ लीजिए, ये सभी वहां मौजूद थे। जब राजा ने अन्य तीन नौकरों से पूछा, तो उन्होंने भी यही कहा कि हीरे नामदेव के पास हैं। अब राजा बड़ी दुविधा में फंस गए। उन्होंने सभा खत्म कर दी और कहा कि फैसला कुछ समय बाद सुनाया जाएगा।

राजा ने भीतर अपने कमरे में अपने सभी मंत्रियों से सलाह मांगी। किसी ने कहा कि नामदेव ही झूठा है, तो कोई बोला कि नामदेव का मालिक दगाबाज है। राजा ने तेनाली राम की ओर देखा जो अब तक शांत खड़े थे। राजा ने पूछा तुम्हारा क्या विचार है तेनालीराम।

तेनालीराम बोले कि अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, लेकिन आप सभी को कुछ समय के लिए पर्दे की पीछे छुपना होगा। राजा इस मामले को जल्दी से जल्दी सुलझाना चाहते थे, इसलिए वह पर्दे के पीछे छुपने के लिए राजी हो गए।

अब शाही कमरे में सिर्फ तेनालीराम नजर आ रहे थे। उन्होंने अपने सेवक को आदेश दिया कि तीनों नौकरों को एक एक करके मेरे सामने पेश किया जाए। सेवक पहले नौकर को लेकर हाजिर हो गया। तेनालीराम ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारे सामने तुम्हारे मालिक ने नामदेव को हीरे दिए थे।” गवाह ने हामी भरी। अब तेनालीराम ने उसे एक कागज और कलम देकर कहा, “तुम उस हीरे का चित्र बनाकर दिखाओ।” नौकर घबरा गया और बोला, “जब मालिक ने नामदेव को हीरे दिए, तब वो लाल थैली में थे।” तेनाली राम ने कहा, “अच्छा चलो तुम यही खड़े रहो।” इसके बाद दूसरे नौकर को बुलाने का आदेश दिया गया। दूसरे नौकर से भी तेनाली राम ने यही पूछा, “अगर तुमने हीरे देखे थे, तो उनका चित्र बनाकर दिखाओ।” नौकर ने कागज लेकर उस पर दो गोल-गोल आकृतियां बना दीं।

अब तीसरे नौकर को बुलाया गया, उसने कहा, “हीरे भोजपत्र से बने एक लिफाफे में थे, इसलिए मैंने उन्हें नहीं देखा।” इतने में महाराजा और बाकी मंत्री पर्दे से बाहर निकल कर आ गए। उन्हें देखकर तीनों नौकर घबरा गए और समझ गए कि अलग-अलग जवाब देने से उनका झूठ पकड़ा जा चुका है। वो राजा के पैरों में गिर पड़े और बोले कि उनका कोई कसूर नहीं है, बल्कि मालिक ने ही उन्हें झूठ बोलने को कहा था, नहीं तो जान से मारने की धमकी दी थी।

गवाहों की बात सुनकर महाराज ने सैनिकों को आदेश दिया कि इनके मालिक के घर की तलाशी ली जाए। तलाशी लेने पर दोनों हीरे मालिक के घर से मिल गए। इस बेईमानी के कारण उसे 1 हजार स्वर्ण मुद्राएं नामदेव को देने का आदेश दिया गया और 20 हजार स्वर्ण मुद्रा का जुर्माना भी लगाया गया। इस तरह तेनाली राम की होशियारी से नामदेव को न्याय मिला और वो राजा के दरबार से खुश होकर लौटा।

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि झूठ ज्यादा समय तक छिपा नहीं रह सकता। इसलिए, कभी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। साथ ही लालच का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।

कहानी से सीख कहां है??? क्या पहली बार स्टोरी लिख रहे हो???

सर इससे पहले मैंने बहुत सी ऐसी कहानी लिखी जिनमें सीख थी ही नहीं इसलिए इसमें याद नहीं रहा, लिख दी है.


Copyright  2011 - 2022 Incnut Digital.

TENALIRAM KI KAHANI

 EBRUARY 5, 2021 द्वारा लिखित 

तेनालीराम की कहानी हीरों का सच

राजा कृष्णदेवराय के दरबार में तेनालीराम नाम के मंत्री थे, जो बड़े ही कुशल और समझदार थे। एक बार महाराज के सामने ऐसा मामला आया कि उनके लिए न्याय करना मुश्किल हो गया। ऐसे में तेनाली राम ने सूझबूझ से काम लिया और राजा की उलझन सुलझाई।

हुआ यूं कि एक दिन नामदेव नाम का एक व्यक्ति राजमहल में आया और न्याय की गुहार लगाने लगा। राजा ने उससे पूछा कि तुम्हारे साथ किसने अन्याय किया है, तो नामदेव ने पूरी बात बताई। नामदेव ने बताया कि वो कल अपने मालिक के साथ कहीं जा रहा था, तो उसे रास्ते में एक पोटली मिली जिसमें दो चमकते हीरे थे। मैंने हीरे देखकर कहा कि मालिक इन हीरों पर राज्य का अधिकार है, इसलिए इन्हें राजकोष में जमा करा देते हैं। यह बात सुनकर मालिक भड़क पड़ा और बोला कि हीरे मिलने की बात किसी को बताने की जरूरत नहीं है। इसमें से एक मैं रख लूंगा और एक तू रख लेना। यह बात सुनकर मेरे दिल में लालच आ गया और मैं अपने मालिक के साथ उनकी हवेली लौट आया। हवेली आकर मालिक ने मुझे हीरे देने से इनकार कर दिया। महाराज मुझे न्याय दीजिए।

नामदेव का दुखड़ा सुनकर, महाराजा ने तुरंत मालिक को दरबार में पेश होने का आदेश दिया। नामदेव का मालिक बहुत कपटी था। दरबार में आकर बोला कि महाराज यह बात सच है कि हमें हीरे मिले थे, लेकिन वो मैंने नामदेव को दे दिए थे। मैंने नामदेव को आदेश दिया था कि इन हीरों को राजकोष में जमा करा देना। नामदेव के मन में लालच है, इसलिए वह झूठी कहानियां बना रहा है।

महाराज बोले कि इसका क्या सबूत है कि तुम सच बोल रहे हो। नामदेव का मालिक बोला कि हुजूर आप बाकी के नौकरों से पूछ लीजिए, ये सभी वहां मौजूद थे। जब राजा ने अन्य तीन नौकरों से पूछा, तो उन्होंने भी यही कहा कि हीरे नामदेव के पास हैं। अब राजा बड़ी दुविधा में फंस गए। उन्होंने सभा खत्म कर दी और कहा कि फैसला कुछ समय बाद सुनाया जाएगा।

राजा ने भीतर अपने कमरे में अपने सभी मंत्रियों से सलाह मांगी। किसी ने कहा कि नामदेव ही झूठा है, तो कोई बोला कि नामदेव का मालिक दगाबाज है। राजा ने तेनाली राम की ओर देखा जो अब तक शांत खड़े थे। राजा ने पूछा तुम्हारा क्या विचार है तेनालीराम।

तेनालीराम बोले कि अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, लेकिन आप सभी को कुछ समय के लिए पर्दे की पीछे छुपना होगा। राजा इस मामले को जल्दी से जल्दी सुलझाना चाहते थे, इसलिए वह पर्दे के पीछे छुपने के लिए राजी हो गए।

अब शाही कमरे में सिर्फ तेनालीराम नजर आ रहे थे। उन्होंने अपने सेवक को आदेश दिया कि तीनों नौकरों को एक एक करके मेरे सामने पेश किया जाए। सेवक पहले नौकर को लेकर हाजिर हो गया। तेनालीराम ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारे सामने तुम्हारे मालिक ने नामदेव को हीरे दिए थे।” गवाह ने हामी भरी। अब तेनालीराम ने उसे एक कागज और कलम देकर कहा, “तुम उस हीरे का चित्र बनाकर दिखाओ।” नौकर घबरा गया और बोला, “जब मालिक ने नामदेव को हीरे दिए, तब वो लाल थैली में थे।” तेनाली राम ने कहा, “अच्छा चलो तुम यही खड़े रहो।” इसके बाद दूसरे नौकर को बुलाने का आदेश दिया गया। दूसरे नौकर से भी तेनाली राम ने यही पूछा, “अगर तुमने हीरे देखे थे, तो उनका चित्र बनाकर दिखाओ।” नौकर ने कागज लेकर उस पर दो गोल-गोल आकृतियां बना दीं।

अब तीसरे नौकर को बुलाया गया, उसने कहा, “हीरे भोजपत्र से बने एक लिफाफे में थे, इसलिए मैंने उन्हें नहीं देखा।” इतने में महाराजा और बाकी मंत्री पर्दे से बाहर निकल कर आ गए। उन्हें देखकर तीनों नौकर घबरा गए और समझ गए कि अलग-अलग जवाब देने से उनका झूठ पकड़ा जा चुका है। वो राजा के पैरों में गिर पड़े और बोले कि उनका कोई कसूर नहीं है, बल्कि मालिक ने ही उन्हें झूठ बोलने को कहा था, नहीं तो जान से मारने की धमकी दी थी।

गवाहों की बात सुनकर महाराज ने सैनिकों को आदेश दिया कि इनके मालिक के घर की तलाशी ली जाए। तलाशी लेने पर दोनों हीरे मालिक के घर से मिल गए। इस बेईमानी के कारण उसे 1 हजार स्वर्ण मुद्राएं नामदेव को देने का आदेश दिया गया और 20 हजार स्वर्ण मुद्रा का जुर्माना भी लगाया गया। इस तरह तेनाली राम की होशियारी से नामदेव को न्याय मिला और वो राजा के दरबार से खुश होकर लौटा।

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि झूठ ज्यादा समय तक छिपा नहीं रह सकता। इसलिए, कभी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए। साथ ही लालच का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।

कहानी से सीख कहां है??? क्या पहली बार स्टोरी लिख रहे हो???

सर इससे पहले मैंने बहुत सी ऐसी कहानी लिखी जिनमें सीख थी ही नहीं इसलिए इसमें याद नहीं रहा, लिख दी है.


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AKBAR BIRBAL KI KAHANI

 

कबर-बीरबल की कहानी: खाने के बाद लेटना |  Khane Ke Baad Letna Story In Hindi

JULY 22, 2021 द्वारा लिखित 

Khane Ke Baad Letna Story in Hindi

दोपहर का समय था, राजा अकबर अपने दरबार में बैठे कुछ सोच रहे थे। अचानक उन्हें बीरबल की कही हुई एक बात याद आई। उन्हें याद आया कि एक बार बीरबल ने उन्हें एक कहावत सुनाई थी, जो कुछ इस तरह से थी – खाने के बाद लेटना और मारने के बाद भागना एक सयाने मनुष्य की निशानी होती है।

राजा सोचने लगे, “अभी दोपहर का समय है। यकीनन बीरबल खाने के बाद सोने की तैयारी में होगा। चलो आज उसकी बात को गलत साबित किया जाए।” यह सोचकर उन्होंने एक सेवक को आदेश दिया की इसी वक्त बीरबल को दरबार में उपस्थित होने का संदेश दिया जाए।

बीरबल अभी खाना खाकर बैठे ही थे कि सेवक राजा का आदेश लेकर बीरबल के पास पहुंचा। बीरबल आदेश के पीछे छिपे राजा की मंशा भली भांति समझ गए। उन्होंने सेवक से कहा, “तुम थोड़ी देर रुको। मैं कपड़े बदलकर तुम्हारे साथ ही चलता हूं।”

अंदर जाकर बीरबल ने अपने लिए एक तंग पजामा चुना। पजामा तंग था तो उसे पहनने के लिए उन्हें बिस्तर पर लेटना पड़ा। पजामे को पहनने का बहाना कर वे थोड़ी देर बिस्तर पर ही लेटे रहे और फिर सेवक के साथ दरबार की ओर चल दिए।

दरबार में राजा बीरबल की ही राह देख रहे थे। उनके वहां पहुंचते ही राजा ने पूछा, “क्यों बीरबल। आज खाने के बाद लेटे थे या नहीं?” बीरबल ने जवाब दिया, “जी महाराज। जरूर लेटा था।” यह सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने बीरबल से पूछा, “इसका मतलब यह है कि तुमने मेरे आदेश का असम्मान किया। तुम उसी समय मेरे सामने क्यों उपस्थित नहीं हुए? इसके लिए मैं तुम्हें सजा देता हूं।”

बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, “महाराज। ये सच है कि मैं थोड़ी देर लेटा था, लेकिन मैंने आपके आदेश की अवहेलना नहीं की है। आपको मुझ पर यकीन न हो तो आप सेवक से इस बारे में पूछ सकते हैं। हां, ये अलग बात है कि मुझे इस तंग पजामे को पहनने के लिए बिस्तर पर लेटना पड़ा था।”

बीरबल की इस बात को सुनकर अकबर हंसे बिना रह न सके और उन्होंने बीरबल को दरबार से जाने दिया।

कहानी से सीख –

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि परिस्थिति को भांपते हुए हमारे द्वारा उठाया गया एक कदम हमें अनेक मुसीबतों से बचा सकता है।

AKBAR BIRBAL KI KAHANI

 

कबर-बीरबल की कहानी: खाने के बाद लेटना |  Khane Ke Baad Letna Story In Hindi

JULY 22, 2021 द्वारा लिखित 

Khane Ke Baad Letna Story in Hindi

दोपहर का समय था, राजा अकबर अपने दरबार में बैठे कुछ सोच रहे थे। अचानक उन्हें बीरबल की कही हुई एक बात याद आई। उन्हें याद आया कि एक बार बीरबल ने उन्हें एक कहावत सुनाई थी, जो कुछ इस तरह से थी – खाने के बाद लेटना और मारने के बाद भागना एक सयाने मनुष्य की निशानी होती है।

राजा सोचने लगे, “अभी दोपहर का समय है। यकीनन बीरबल खाने के बाद सोने की तैयारी में होगा। चलो आज उसकी बात को गलत साबित किया जाए।” यह सोचकर उन्होंने एक सेवक को आदेश दिया की इसी वक्त बीरबल को दरबार में उपस्थित होने का संदेश दिया जाए।

बीरबल अभी खाना खाकर बैठे ही थे कि सेवक राजा का आदेश लेकर बीरबल के पास पहुंचा। बीरबल आदेश के पीछे छिपे राजा की मंशा भली भांति समझ गए। उन्होंने सेवक से कहा, “तुम थोड़ी देर रुको। मैं कपड़े बदलकर तुम्हारे साथ ही चलता हूं।”

अंदर जाकर बीरबल ने अपने लिए एक तंग पजामा चुना। पजामा तंग था तो उसे पहनने के लिए उन्हें बिस्तर पर लेटना पड़ा। पजामे को पहनने का बहाना कर वे थोड़ी देर बिस्तर पर ही लेटे रहे और फिर सेवक के साथ दरबार की ओर चल दिए।

दरबार में राजा बीरबल की ही राह देख रहे थे। उनके वहां पहुंचते ही राजा ने पूछा, “क्यों बीरबल। आज खाने के बाद लेटे थे या नहीं?” बीरबल ने जवाब दिया, “जी महाराज। जरूर लेटा था।” यह सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने बीरबल से पूछा, “इसका मतलब यह है कि तुमने मेरे आदेश का असम्मान किया। तुम उसी समय मेरे सामने क्यों उपस्थित नहीं हुए? इसके लिए मैं तुम्हें सजा देता हूं।”

बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, “महाराज। ये सच है कि मैं थोड़ी देर लेटा था, लेकिन मैंने आपके आदेश की अवहेलना नहीं की है। आपको मुझ पर यकीन न हो तो आप सेवक से इस बारे में पूछ सकते हैं। हां, ये अलग बात है कि मुझे इस तंग पजामे को पहनने के लिए बिस्तर पर लेटना पड़ा था।”

बीरबल की इस बात को सुनकर अकबर हंसे बिना रह न सके और उन्होंने बीरबल को दरबार से जाने दिया।

कहानी से सीख –

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि परिस्थिति को भांपते हुए हमारे द्वारा उठाया गया एक कदम हमें अनेक मुसीबतों से बचा सकता है।

CURRICULUM ENGLISH

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